Thursday, June 11, 2020

Electrical study Electron Theory

                             इलैक्ट्रोन्स थ्योरी ( Electron Theory) - पदार्थ के प्रत्येक परमाणु के मध्य विद्युत स्थित रहती है जो प्रोटोन और इलैक्ट्रोन्स के रुप में होती है। इनके विपरीत चार्ज, एक दूसरे को निष्प्रभावित करते रहते हैं इस कारण इसमें उपस्थित विद्युत प्राप्त नहीं होती है। परमाणु में इलैक्ट्रोन्स और प्रोटोन्स दृढ़ता पूर्वक बंधे हूए होते हैं जो एक दूसरे से पृथक नहीं होते हैं। परन्तु जब बाह्य ऊर्जा पर्याप्त मात्रा में दी जाती है तो इलैक्ट्रोन्स की संख्या में परिवर्तन हो जाता है। यह परिवर्तन इलैक्ट्रोन्स की संख्या में कमी होने अथवा अधिक होने से होता है। जब इलैक्ट्रोन्स की संख्या कम होती जाती है तो प्रोटोन्स की संख्या अधिक रहती है और पॉजिटिव चार्ज अधिक हो जाता है तथा पॉजिटिव विद्युत प्राप्त होती है। परन्तु जब इलैक्ट्रोन्स की संख्या प्रोटोन्स से अधिक हो जाती है तो उसमें नेगेटिव चार्ज अधिक हो जाता है और उससे नेगेटिव विद्युत प्राप्त हो जाती है। 
इलैक्ट्रोन्स प्रोटोन्स के चारों ओर अधिक वेग से घूमते हैं। इलेक्ट्रोन का नेगेटिव चार्ज दिखाई नहीं देता है परन्तु प्रत्येक पदार्थ में समान रूप से पाया जाता है। चालकों (Conductors) में इलैक्ट्रोन्स की कुछ संख्या परमाणु से परमाणु की ओर स्वतन्त्रता पूर्वक गुजरती है जबकि चालक के सिरों के आर पार विभव (Potential) का अन्तर से प्रभावित होती है। इन इलैक्ट्रोन्स के घूमने से इलैक्ट्रिक करन्ट प्रभावित होने लगती है। यद्यपि इलैक्ट्रोन्स नेगेटिव चार्ज युक्त होते हैं फिर भी इनके घूमने की दिशा बहने वाली करन्ट के विपरीत दिशा में होती है। करन्ट बाहरी सर्किट में पॉजिटिव से नेगेटिव की ओर प्रवाहित हो जाती है। कुचालक (Non-Conductor or Insulator) पदार्थ में विद्युत करन्ट प्रवाहित नहीं होती है क्योंकि उसमें इलैक्ट्रोन्स, न्यूक्लियस से दृढता पूर्वक बंधे होते हैं। इलैक्ट्रोन्स को परमाणु से हटाना अधिक कठिन होता है।

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