आज की तारीख में यूजर्स व्हॉट्सऐप से लेकर इंस्टाग्राम तक में चैटिंग के दौरान स्माइली इमोजी का उपयोग करते हैं. दिलचस्प बात यह है कि अब यूजर्स हंसी और प्यार के लिए सिर्फ इमोजी भेजकर ही अपने जज्बात बयां कर देते हैं. लेकिन क्या जानते हैं कि इमोजी की शुरुआत कब और कैसे हुई.
साल 1963 की बात है, अमेरिका की एक बीमा कंपनी ने अपने नाराज कर्मचारियों को मनाने और उनमें जोश भरने के लिए पब्लिक रिलेशन कंपनी चलाने वाले हार्वी रास बाॅल से संपर्क किया. तब कंपनी ने हार्वी को बताया कि हमने दूसरी कंपनी के साथ विलय किया है, जिसकी वजह से हमारे कर्मचारी नाराज हैं. इसके बाद हार्वी ने पीले रंग का एक हंसता हुआ चेहरा बनाया, जिसको देखने के बाद सभी कर्मचारी बहुत खुश हो गए थे. तब से लेकर आज तक इसे स्माइली के नाम से जाना जाता है. वही, हार्वी ने इस हंसते हुए चेहरे को बनाने के लिए 45 डाॅलर (करीब 3,100 रुपये) लिए थे.
स्माइली फेस स्टाम्प स्माइल इमोजी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हुई थी. यही वजह थी कि साल 1971 में करीब 5 करोड़ स्माइली फेस बटन बेचे गए थे. इतना ही नहीं 1999 में यूएस पोस्टल विभाग ने भी स्माइली फेस की स्टाम्प जारी की थी. 19 सितंबर 1982 में पहली बार अमेरिका के कानर्गी मिलाॅन यूनिवर्सिटी में प्रो. स्काॅट ई. फालमैन ने कंप्यूटर में इस स्माइली का उपयोग किया था. इसके बाद से ही स्माइली का चलन कंप्यूटर में तेजी से बढ़ा था.
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