उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के तहसील बिसौली के गांव मोहम्मदपूर में किसान नरेश कुमार शर्मा ने पहली बार काले गेहूं की खेती की. इस रबी सीजन में किसान ने आधा बीघा खेत से 2 क्विंटल काले गेहूं फसल प्राप्त की. किसान ने इस गेहूं को बिना रासायनिक दवाओं के तैयार किया, केवल वर्मी कंपोस्ट और डब्ल्यूडीसी खाद का उपयोग किया. आइए जानते हैं इससे जुड़ी जानकारियां जब किसान ने काले गेहूं को पिसवाया तो आटे का रंग काला और सफेद हो गया इस आटे की रोटियां गुलाबी रंग की बनकर तैयार हुई हैं.
खरगौन से लिया था बीज नरेश ने मध्य प्रदेश के खरगौन से काला गेहूं का बीज लाकर फसल तैयार की. प्रति बीघा बुवाई में इस गेहूं के 8 से 10 किलो बीज लगते हैं. पैदावार 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिल सकती हैं. बचाएगा कई बीमारियों से नाबी के वैज्ञानिकों के मुताबिक काला गेहूं साधारण गेहूं से ज्यादा पौष्टिक है. यह गेहूं लोगों को कई गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, शुगर, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, दिल की बिमारी और तनाव से बचाएगा. इस गेहूं की रिसर्च नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट, नाबी (मोहाली, पंजाब) ने की है. कृषि वैज्ञानिक डॉ. मोनिका गर्ग ने साल 2010 से रिसर्च करना शुरू किया था. इसके बाद काला गेहूं किया गया. इसलिए इस गेहूं का नाम नाबी एमजी रखा है.
खरगौन से लिया था बीज नरेश ने मध्य प्रदेश के खरगौन से काला गेहूं का बीज लाकर फसल तैयार की. प्रति बीघा बुवाई में इस गेहूं के 8 से 10 किलो बीज लगते हैं. पैदावार 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिल सकती हैं. बचाएगा कई बीमारियों से नाबी के वैज्ञानिकों के मुताबिक काला गेहूं साधारण गेहूं से ज्यादा पौष्टिक है. यह गेहूं लोगों को कई गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, शुगर, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, दिल की बिमारी और तनाव से बचाएगा. इस गेहूं की रिसर्च नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट, नाबी (मोहाली, पंजाब) ने की है. कृषि वैज्ञानिक डॉ. मोनिका गर्ग ने साल 2010 से रिसर्च करना शुरू किया था. इसके बाद काला गेहूं किया गया. इसलिए इस गेहूं का नाम नाबी एमजी रखा है.
किसानों के लिए फायदेमंद 1) बेशक अभी बाजार में काला गेहूं नहीं बेचा जा रहा है लेकिन माना जा रहा है कि काला गेहूं कम से कम 3500 रुपये प्रति क्विंटल से बिक जाएगा. 2) अभी यह गेहूं बाजार में इसलिए नहीं बेचा जा रहा है क्योंकि पहले इसे रिसर्च सेंटर भेजा जाएगा. हालांकि किसान एक-दूसरे से गेहूं ले सकते हैं. 3) बताया जा रहा है कि रिसर्च सेंटर जल्द ही बाजार में काले गेहूं की कंपनियां उतारने जा रहा है. इसके बाद यह बाजार में बिकना शुरू हो जाएगा.
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