डाइविंग सूट एक ऐसा जरुरी उपकरण है, जिसके जरिए इसांन पानी के अंदर छुपे गहरे राज को भी जान लेता है, दुनिया का पहला डाइविंग सूट बनाने का श्रेय इटली के अविष्कारक अल्फोंसो बोरेली को दिया जाता है. उन्होंने यह आविष्कार वर्ष 1679 में किया था. हालांकि इससे कई साल पहले वर्ष 1617 में ही उन्होंने एक सूट बनाने की कोशिश की थी, लेकिन वो इसमें कामयाब नहीं हो पाए थे. इसी सूट की खामियों को दूर करके 1679 में दुनिया का पहला डाइविंग सूट बनाया था. अल्फोंसो बोरेली के बाद और भी कई वैज्ञानिकों ने डाइविंग सूट बनाए. इसमें दो ब्रिटिश वैज्ञानिक भी शामिल थे, जिन्होंने 1710 ईस्वी में दुनिया का पहला प्रेशर प्रूफ डाइविंग सूट का परीक्षण अपने ही घर में मौजूद स्विमिंग पूल में किया था.
थेम्स नदी में परीक्षण - ब्रिटेन के ही एक और वैज्ञानिक एंड्रयू बेकर्स भी डाइविंग सूट बनाने वालों की श्रेणी में शामिल है. उन्होंने दुनिया का सबसे पहला चमड़े का डाइविंग सूट बनाया था. वर्ष 1774 में उन्होंने मशहूर थेम्स नदी में इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया था. वो इसे पहनकर करीब एक घंटे तक पानी के अंदर रहे थे. बेकर्स के इस डाइविंग सूट की खासियत ये थी कि इसमें सांस लेने और छोडने के लिए एक विशेष ट्यूब प्रणाली का इस्तेमाल किया गया था. दुनिया का पहला एडवांस डाइविंग सूट 19वी सदी में बनाया गया था. इसे अगस्टस सीबे नामक वैज्ञानिक ने बनाया था. जिसमें जार्ज एडव नामक एक दुसरे वैज्ञानिक ने भी उनकी मदद की थी. उन्होंने इस सूट को वाटरप्रूफ लेदर (चमड़े) से बनाया था और इस चमड़े को मशहूर वैज्ञानिक चार्ल्स मैकिनतोश ने बनाया था. इसके बाद तो कई सारे वैज्ञानिक ने अपने - अपने तरीके से डाइविंग सूट को विकसित किया और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
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