विद्युत करन्ट के प्रभाव विद्युत करन्ट, इलैक्ट्रोन के बहाव को कहते हैं जो उस चालक में एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रवाहित होते हैं। किसी भी चालक में विद्युत करन्ट दिखाई नहीं देती है और न इसे स्पर्श करके जाना जा सकता है। केवल इसके प्रभाव व्दारा ही इसी उपस्थिति का ज्ञान होता है। विद्युत करन्ट के प्रभाव निम्न होते हैं - 1) शारीरिक प्रभाव (physical effect) 2) ऊष्मीय प्रभाव (Heating effect) 3) रासायनिक प्रभाव ( Chemical effect) 4) चुम्बकीय प्रभाव ( Magnetic effect) 5) किरणों का प्रभाव ( Ray's effect) 1)शारीरिक प्रभाव - जब शरीर का कोई भाग विद्युत करन्ट के सम्पर्क में आता है तो शरीर को धक्का अनुभव होता है और झनझनाहट उत्पन्न होने लगती है। शरीर, विद्युत का अच्छा चालक है इस कारण अधिक मात्रा की विद्युत से मृत्यु भी हो जाती है। इसलिए विद्युत से सदैव पृथक ही रहना चाहिए। कभी-कभी कम मात्रा की वोल्टेज से शरीर के कई रोग दूर हो जाते हैं। 2) ऊष्मीय प्रभाव - जब किसी ऊष्मीय उपकरण में से विद्युत प्रवाहित की जाती है तो उस उपकरण से ऊष्मा उत्पन्न होने लगती है। उस गर्मी से ही ज्ञात होता है कि इसमें विद्युत है। हीटर में विद्युत करन्ट के प्रवाहित होने पर ऊष्मा दोनों ही उत्पन्न होती है। इमरसन हीटर से पानी गरम हो जाता है। विद्युत करन्ट प्रवाह से विद्युत प्रेस गर्म हो जाती है। इसी प्रकार अन्य उपकरणों से भी ताप उत्पन्न होने से विद्युत की जानकारी हो जाती है।
3) रासायनिक प्रभाव - किसी भी रासायनिक घोल में विद्युत प्रवाहित की जाती है तो वह घोल अपने अवयवों में विभाजित हो जाता है। पानी में विद्युत प्रवाहित करने पर वह आॅक्सीजन और हाइड्रोजन में विभाजित हो जाती है। इलैक्ट्रोलीसिस और इलैक्ट्रोप्लेटिंग का कार्य रसायनिक प्रभाव के कारण ही होता है। 4) चुम्बकीय प्रभाव - जब किसी चालक में से विद्युत करन्ट प्रवाहित होती है तो उस चालक के चारों ओर चुम्बकीय रेखाएं उत्पन्न हो जाती है। इस चालक के समीप कोई लोहे का टुकड़ा रखा जाए तो वह आकर्षित हो जाता है। लोहे के टुकड़े पर इन्सुलेटेड तार के अनेकों टर्न लगा कर विद्युत प्रवाहित कि जाए तो वह लोह का टुकड़ा चुम्बक बन जाता है जिससे विद्युत की उपस्थिति का ज्ञान होता है। इसी प्रभाव के आधार पर विद्युत घंटी, फैन, मोटर, जनरेटर, ट्रांसफार्मर आदि कार्य करते हैं। 5) किरणों का प्रभाव - वायु शुन्य ट्यूब से विद्युत के प्रवाहित करने पर एक्स किरणें (X-rays) निकलती है जिससे शरीर के भीतरी भागों को सरलता से देखा जाता है। इसी प्रकार की अन्य किरणें जैसे कैथोड किरणें, अल्ट्रा वायलेट किरणें आदि भी उत्पन्न होती हैं।
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